देखो नारी को देखो। अब वे पीड़ित तो है ही, लेकिन बात यह है की इससे पूर्व आपने जो मेरे द्वारा रचित कविता पढ़ी, तो आप को लगा होगा की दुनिया में तो नारी का कोय स्थान नहीं है। किन्तु यह दोनों कविताए समाज के दो अलग-अलग वर्ग का परिक्षण करने के बाद, सोच विचार करके अपने अनुभवों के आधार पर लिखी गई है। पश्चिमी दुनिया में जिस प्रकार लोग नारी को इज्जत देते हे अवं आधुनिक हिंदुस्तानी जिस प्रकार विचरण करते हे , उसे मायने रखते हुए यह निम्न कविता लिखी गयी है।
नारी
ये दुनिया में नारी की हे अधिक ज़रुरत,
अब तो नारी भी देती है मत।
अब नारी को भी लोग देते हे सम्मान,
नारी की भावनाओ का न होता अब अपमान,
अब है उनका भी समाज में उच्च स्थान,
अब नर से भी बढ़ रही है महिला की आन।
अब नारी न डरती,
न जीते जी मरती।
पीड़ा उनकी तो अभी भी न है कम,
किन्तु फिर भी वे आगे बढ़ रही है हर दम।
अब तो वे हर मुश्किल से लड़ी,
Its the truth guys...
ReplyDeleteVery nice. I appreciate your poem and topic.
ReplyDeletethanks a lot uncle..
DeleteGood sound , true feelings and u run as u can !!!!!
ReplyDeleteyou can use word Nari insted of Mahila , same way Nar will more suitable insted of Purush and can also use there Narayani
uncle first of all thanks 4 reading..and secondly i will definitely look upon your suggestion..
DeleteBest so far..three cheers for 'nari'
ReplyDeletethe selection of the photograph is really intelligent
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